बांका, बिहार |
फर्जी शैक्षणिक प्रमाणपत्र की जांच में बांका जिले के शिक्षा विभाग और निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की गंभीर चूक उजागर हुई है। एक ऐसे शिक्षक के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर दी गई है, जिनका निधन पांच साल पूर्व हो चुका है। इस कार्रवाई ने मृतक के परिजनों और शिक्षक संगठनों को आक्रोशित कर दिया है।
मामला मिर्जापुर पंचायत के सोनडीहा गांव का है, जहाँ के निवासी निरंजन कुमार प्राथमिक विद्यालय मेहरपुर में शिक्षक के पद पर कार्यरत थे। कोरोना काल में वर्ष 2021 में उनकी मृत्यु हो गई थी। उनके परिजनों ने समय रहते मृत्यु प्रमाणपत्र बीआरसी कार्यालय और जिला शिक्षा पदाधिकारी को उपलब्ध करा दिया था। इसके बावजूद हाल ही में निगरानी विभाग ने निरंजन कुमार पर फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी पाने का आरोप लगाकर केस दर्ज करा दिया।
इसी रिपोर्ट में सोनवर्षा प्रखंड की शिक्षिका पल्लवी कुमारी का नाम भी सामने आया है, जिनके शैक्षणिक दस्तावेज फर्जी पाए गए हैं। पल्लवी वर्ष 2018 से ही विद्यालय से गायब हैं और उनका कोई अता-पता नहीं है।
निरंजन कुमार पर हुई इस कार्रवाई से उनके परिजन सदमे में हैं। उनकी पत्नी खुशबू कुमारी, भाई मनीष कुमार और पूर्व प्रखंड प्रमुख जितेंद्र यादव ने कहा कि मृत व्यक्ति पर केस दर्ज करना अमानवीय और विभागीय लापरवाही का जीता-जागता उदाहरण है। उन्होंने मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
प्रखंड शिक्षक संघ ने भी इस पूरे घटनाक्रम पर कड़ा विरोध जताया है और इसे मृतक के सम्मान के साथ खिलवाड़ बताया है।
शम्भूगंज थाना प्रभारी मंटू कुमार ने बताया कि मृतक शिक्षक का प्रमाणपत्र उनके परिजनों ने प्रस्तुत किया है, जिसे जिला मुख्यालय को भेजा गया है। अब आगे की कार्रवाई उच्चाधिकारियों के निर्देशानुसार की जाएगी।