अंबेडकर जयंती पर टी.एम.बीयू में भव्य कार्यक्रम: सामाजिक न्याय और संविधान के मूल्यों को किया गया स्मरण.
भागलपुर (बिहार): भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की 133वीं जयंती के उपलक्ष्य में तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) एवं स्नातकोत्तर अंबेडकर विचार विभाग के संयुक्त तत्वावधान में एक भव्य व विचारोत्तेजक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय प्रशासन, शिक्षकगण, छात्र-छात्राएं एवं आमंत्रित अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति रही।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसमें कुलपति प्रो. जवाहर लाल, पूर्व कुलपति एवं मुख्य वक्ता प्रो. क्षेमेन्द्र सिंह, डीएसडब्ल्यू प्रो. विजेंद्र कुमार, कुलानुशासक प्रो. अर्चना साह, लोकपाल प्रो. यू.के. मिश्रा, महाविद्यालय निरीक्षक प्रो. संजय झा, मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. निरंजन यादव, एमबीए निदेशक डॉ. निर्मला कुमारी, विकास पदाधिकारी अनिल कुमार सिंह, एनएसएस समन्वयक डॉ. राहुल कुमार, अंबेडकर विचार विभागाध्यक्ष डॉ. संजय रजक, डॉ. रविशंकर चौधरी, क्रीड़ा सचिव डॉ. संजय जायसवाल समेत अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।
डॉ. राहुल कुमार ने कार्यक्रम की भूमिका प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह आयोजन विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह विश्वविद्यालय संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद के प्रयासों का परिणाम है और इसका नाम तिलकामांझी जैसे स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर है। बाबा साहब अंबेडकर के विचार, सामाजिक न्याय और संविधान के आदर्शों का प्रतीक हैं, और ऐसे आयोजन इन मूल्यों की पुनः प्रासंगिकता स्थापित करते हैं।
कुलपति प्रो. जवाहर लाल ने अपने संबोधन में डॉ. अंबेडकर को एक महान युगदृष्टा, मानवाधिकारों के प्रणेता, संविधान निर्माता, अर्थशास्त्री और समाज सुधारक बताते हुए कहा, “जब तक भारत है, तब तक संविधान रहेगा और जब तक संविधान रहेगा, अंबेडकर जीवित रहेंगे।” उन्होंने जोर दिया कि राष्ट्र निर्माण समानता, स्वतंत्रता और न्याय जैसे मूल स्तंभों के आधार पर ही संभव है।
दूसरे सत्र में डॉ. रविशंकर चौधरी ने डॉ. अंबेडकर के जीवन और दर्शन पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए उन्हें वंचितों का मसीहा बताया और उनके विचारों को भारत की आत्मा का स्वरूप बताया।
मुख्य वक्ता पूर्व कुलपति प्रो. शैलेन्द्र सिंह ने कहा, “मेरा प्रत्येक कण इस विश्वविद्यालय का ऋणी है।” उन्होंने डॉ. अंबेडकर के विचारों को भारत के पुनर्निर्माण का एकमात्र रास्ता बताया और कहा कि “सामाजिक समरसता एवं न्याय के मार्ग पर चलकर ही भारत को विकसित राष्ट्र बनाया जा सकता है।”
कार्यक्रम के समापन अवसर पर छात्रों ने भी बाबा साहब के विचारों पर अपने विचार साझा किए। अंत में अंबेडकर विचार विभाग के अध्यक्ष डॉ. संजय रजक ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए अंबेडकर को वंचितों का प्रेरणास्त्रोत बताया और छात्रों से उनके पदचिह्नों पर चलने का आह्वान किया।