लोक पर्व बिसुआ सोमवार को मनाया जाएगा।इसको लेकर बाजारों में भी चहल-पहल देखने को मिली पंजवारा बाजार में बिसुआ पर्व को लेकर घड़ा की बिक्री जमकर हुई। स्थानीय कुंभकार समाज द्वारा तैयार किए गए घड़ा को लोग खूब पसंद कर रहे हैं।
लोक संस्कृति का बिसुआ पर्व सतुआन के नाम से अधिक प्रचलित है। सतुआन नवीन फसल का भी पर्व है. सतुआन में खेतों से नये कटे अन्न जैसे- चना, जौ आदि, आम का टिकोला, प्याज, हरी मिर्च का प्रयोग होता है. चने का सतुआ अकेले भी प्रयोग होता है और जौ आदि के सतुआ के साथ मिश्रित भी करके. सात अनाजों का सतुआ- सतंजा भी प्रचलित है. सतुआन वैशाख संक्रांति को प्रतिवर्ष आता है, तब सूर्य मीन से मेष राशि में प्रवेश करते हैं. सतुआन को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं. यह अनुष्ठान भारतीय सभ्यता के निरंतरता को दिखाता है.
वैदिक काल में अपाला नाम की एक विदुषी महिला का उल्लेख मिलता है, जो सफेद दाग जैसी किसी बीमारी से ग्रस्त थी. अपाला इस बीमारी से मुक्ति के लिए इंद्र की तपस्या की. कहते हैं अपाला ने सत्तू का भोग लगाया और ईख का रस चढ़ाया. इंद्र यह भोग पाकर प्रसन्न हुए और अपाला को रोग मुक्त कर दिया. आज भी रोगी को ठीक होने के बाद जब अनाज देने की शुरुआत की जाती है, तो प्राय: पतली खिचड़ी के बाद ठोस सत्तू के सेवन का विकल्प दिया जाता है.